हर साल में ८ मार्च को आंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता हैं। चलते आए काफी समय से महिलाये घर और ऑफिस दोनों को बहोत ही शानदार (सही) तरीके से संभालती हैं। और आज के समय में महिलाये हर कदम में पुरुषो से आगे हैं। यह देखने को मिलता हैं। हर एक क्षेत्र में महिलाये अपनी पहचान बना रही हैं। महिलाये बेटी से लेकर दादी तक के हर एक जिम्मेदारी की अभिव्यंजक रूप से ( खुलकर ) निभाती है। महिलाये अपने परिवारजनो का ध्यान तो रखती है परंतु स्वय के लिए समय नहीं निकल पाती है। कभी कभी इन सब के चक्कर में या खयालो में वह अपनी सेहत का अच्छे से खास ध्यान नहीं रख पाती है।
उनकी सेहत से जुड़े हुए मुद्दे को नजर अंदाज करती है जो की बोहोत ही गलत है। कई बार तो महिलाये छोटी छोटी दिक्कतों को नजर अंदाज कर देती है जो की आगे चलकर गंभीर समस्याएं बन जाती है। महिलाओ को पुरुषो के मुकाबले ज्यादा पोषक तत्वों की जरुरत होती है। अगर महिलाये अपना ध्यान नहीं रखेगी तो 40 की उम्र में आते आते कैल्शियम की कमी मांसपेशियों में कमजोरी ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं हो सकती है।
अगर महिलाये अपना ख्याल रखेगी तो वे निश्चित रूप से लंबे समय तक सेहतमंद रह सकती है देखने जाये तो एक महिला ही नहीं अपितु किसी भी मनुष्य के स्वस्थ रहने के लिए सबसे आवश्यक है की उसका दिल दिमाग और शरीर स्वस्थ रहे। लेकिन पुरुषोकी तुलना में महिलाओ को बहुत ही ज्यादा सेहत का ध्यान रखना जरुरी मन जाता है। तो आइए जानते है की महिला को अपनी सेहत सही रखने के लिए क्या खाना चाहिए और कौन कौन सी बातो का ध्यान रखना चाहिए।
लड़की या महिलाओं को तंदुरुस्त रहने के लिए क्या खाना चाहिए?
चलते आए कई तरह के शोध से यह समझाते है की लंबे समय तक जीने के लिए और बीमारियों से दूर रहने के लिए सबसे बेहतर दवा मतलब एक हेल्दी लाइफस्टाइल है। यह कोई बड़ी बात नहीं है। हर समय पर आहार ले और तनाव को आराम से दूर कर सकते है।
गुनगुने पानी पीए :-
सभी को सुबह उठकर सबसे पहले पानी पीने की सलाह दी जाती है। कहते है सुबह एक ग्लास पानी पीने से शरीर से सारे टॉक्सिक पदार्थ बाहर चले जाते है।
दही सेवन करें consume curd
दही में कैल्शियम तथा प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। जिसकी वजह से हड्डियों के स्वास्थ और मांसपेशियों के विकास को बढ़ावा देता है। और साथ ही त्वचा और बालों को भी हेल्दी रखने में मदत करता है। दही खाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। और यह इम्यून सिस्टम के लिए भी फायदेमंद होता है।
दही खाने का सही समय right time to eat curd
दही खाने का सबसे अच्छा समय सुबह या दोपहर का समय है। क्योंकि दिन के समय दही का सेवन करेंगे तो पचना आसान होता है। रात में दही खाना सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इससे शरीर में ज्यादा बलगम बनने लगता है। दही ठंडा होने के कारण हर व्यक्ति पर इसका प्रभाव अलग – अलग हो सकता ह। सर्दी और खासी से ग्रस्त लोगो को रात के समय दही का सेवन करने से बचना चाहिए।
दही का सेवन किसे नहीं करना चाहिए Who Should Not Consume Yogurt
ऐसे देखने जाए तो दही सभी के लिए फायदेमंद होता है। हालांकि अगर किसीको डेयरी प्रोडक्ट से एलर्जी है , तो दही का सेवन ला करे। जिन लोगो को बैड कोलेस्ट्रॉल से परेशान है या किडनी की समस्या है तो उन लोगोको दही का सेवन काम मात्रा में करना है या दही खाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
असली सेवन कर सकते है।
अलसी से बीज महिलाओं के स्वास्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है। भुनी अलसी को डाइट में शामिल कर कब्ज, पाचन ,पेट गैस आदि में राहत मिलती है। सुबह भुनी अलसी खाने से हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदत करता है। अलसी में लिगनेंस एंटीऑक्सीडेंट्स होते है। जो कैंसर,डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम के रिस्क को कम करने में मदत करता है। अलसी में आयरन,प्रोटीन और विटामिन B ६ होता है। जो एनीमिया, जोड़ो का दर्द दूर करने और दिमाग शक्ति बढ़ाने में प्रभवशाली होता है। कई लोग अलसी के बीज खाना पसंद नहीं करते उस समय इसे ओट्स या दलिये में मिक्स करने भी खा सकते है।
मछली खा सकते हैं।
मछली ( Fish ) महिलाओं के स्वास्थ के लिए फायदेमंद माना जाते है। क्योंकि मछली से ज्यादा मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसलिए मछली का हाई प्रोटीन फ़ूड में गिना जाता है। जिसमे ओमेगा ३ फैटी एसिड पाया जाता है। ओमेगा ३ फैटी एसिड दिल की सेहत के लिए बहुत जरुरी है और ये शरीर में प्रोड्यूस नहीं होता इसलिए लोगो को मछली खाने की सलाह दी जाती है।

फल खाये
सेब खाने से ब्लड शुगर के स्तर को कम करने और डायबिटीज से बचने में मदत मिलती है। सेब में पोटेशियम खनिज होता है जो शरीर में दिल के लिए बेहद जरुरी माना जाता ह। भरपूर मात्रा मे सेब का सेवन करने से हृदय स्वास्थ को लाभ पहुँचता है। साथ ही पपीता , बेरीज ,चकोतरा और अंगूर जैसे फलो का भी सेवन कर सकते है। चकोतरा हृदय के लिए बहुत ही अच्छा होता है। चकोतरा खाने से महिलाओ में स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदत करता है। बेरीज में एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होते है। जिसके माध्यम से सेल डेमेज को रोकने में मदत करता है। इससे महिलाओ का माइंड भी फ्रेश रहता है। पपीता ब्रेस्ट कैंसर के खतरे से बचाता है। तथा कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रखता है।
हरी सब्जी नियमित रूप से खाना चाहिए
हरी सब्जियों में से पालक में मौजूद फोलेट महिलाओ ले लिए फायदेमंद होता है। पालक खाने से हृदय रोग से बचाता है। त्वचा की झुर्रियों को भी दूर करता है। ये पेट के कैंसर के खतरे को रोकने में मदत करता है। साथ ही इसमें ल्यूटिन भी होता है और आखों की रोशनी भी बढ़ती है।
मिनरल तथा विटामिन युक्त भोजन
महिलाओ को हमेशा मिनरल तथा विटामिन युक्त भोजन करना चाहिए । जिससे आगे कोई बीमारी ना हो क्यों की पुरुषों की अपेक्षा महिलाओ के शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी पाई जाती है। इसलिए हमेशा विटामन और मिनरल युक्त भोजन करे ताकि आगे चलकर कोई बीमारी ना हो। आयरन,कैल्शियम,फोलेट,मैग्नीशियम,विटामिन बी १२, विटामिन सी,तथा विटामिन डी से युक्त फूड का अधिक सेवन करना बहुत ही जरुरी या फायदेमंद माना जाता है
सेहत सही रखने के लिए किन बातो का रखे ध्यान
शारीरिक तनाव को कम करे
महिलाए जिम्मेदारी और करियर को लेके काफी ज्यादा तनाव ( Stress ) लेती है। जिसकी वजह से उसका परिणाम सीधा उनकी सेहत पर पड़ता है। तनाव लेना आम बात है। लेकिन तनाव लेने से कोई भी समस्या का हल नहीं किया जाता है। तथा लम्बे समय तक तनाव से घिरे रहना शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार कर सकता है। इसलिए तनाव ना लेते हुए अपनी समस्याका हल निकलना चाहिए।

रात में ७ से ८ घंटे नींद ले
महिलाए कई बार घर के काम या बच्चो की पढ़ाई के देखभाल जैसे दिनचर्या के कारण देर रात तक जागती है। और सुबह जल्दी उठ जाती है। जिससे उनकी नींद पूरी नहीं होती है। शरीर को पर्याप्त नींद बहुत ही फायदेमंद है। और यह महत्वपूर्ण भी माना जाता है। पर्याप्त नींद लेने से शरीर और मस्तिष्क सही रहता है। इसलिए कम से कम ७ से ८ घंटे सोना जरुरी है।
कोई भी दवा खाने से बचें
स्वास्थ्य समस्याको दूर या ठीक करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेकर हम कई तरह की दवाई खाते है। यह सोचकर खाते है की जल्दी ठीक हो जाये और पीड़ा से मुक्त मिले लेकिन अगर हम कभी भी कोई भी दवाई गलत तरीके से उपयोग करेंगे तो स्वास्थ्य को गंभीर समस्या पैदा कर सकते है। इसलिए हमेशा डॉक्टर की सलाह लेकर ही दवाई खाये जितना हो सके छोटी मोटी शारीरिक समस्या को दूर करने के लिए दवाई खाने से बचें क्योकि ज्यादा दवाई खाने से हमारे शरीर को नुकसान पहुँचता है।
दिन में कम से कम 20 – 30 मिनट चले
दिन में रोजाना 20 – 30 मिनट चलने से शरीर को बहुत फायदा मिलता है। चलने से शरीर को ताजा कर देता है और रक्त प्रवाह में सुधार करता है। जो चयापचय ( metabolism ) को शुरू करने में मदत करता है। और अपने मूड को बेहतर बनाता है। तथा मस्तिष्क गामा-एमिनोब्युट्रिक एसिड या GABA नामक हार्मोन का उत्पादन करता है। GABA एक प्रमुख न्युरोहोर्मोन है जो विश्राम को बढ़ावा देने में मदत करता है और साथ ही सेरोटोनिन उत्पादन को ट्रिगर करता है।
हर दिन कम से कम 15 – 20 मिनट आराम करे
आराम हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्य्थ के लिए महत्वपूर्ण है , इसलिए इसे प्राथमिकता दे बल्कि नजर अंदाज न करे हर दिन कम से कम 15 – 20 मिनट कुछ ऐसा करने की योजना बनाये जिसमे आपको आराम मिले। कुछ गतिविधिया इस प्रकार है। मांसपेशी विश्राम दे जो सिरदर्द से लेकर चिंता तक सब कुछ कम करने में मदत कर सकता है। गहरी साँस ले जो शांति की भावना का अनुभव करने का एक त्वरित और आसान तरीका है। योग जो की व्यायाम का एक प्रभावी रूप है और आराम करने का एक शानदार तरीका है। ध्यान करना जो हमारे दिमाग को शांत करने और तनाव दूर करने में मदत करता है।
सकारात्मक सोच के साथ नकारात्मक आत्म – चर्चा का प्रतिकार करे
हमारे जीवन शैली में नकारात्मक आत्म – चर्चा तब होती है जब हम खुदको स्वयं को निचा दिखाते है या अपनी आलोचना करते है। हर कोई ऐसा करता है ,लेकिन यह हमारे आत्मसम्मान के लिए बिलकुल अच्छा नहीं है। हम ऐसा कब करते है उस पर ध्यान दे और ऐसा होने पर खुद को सुधारे। नकारात्मक आत्म – चर्चा को सही करने के लिए बस नकारात्मक विचार का खंडन करे।
उदाहरण के लिए यदि हम कोई बड़े काम में शामील हुए हो और उस वक्त हमारी कोई गलती के कारण हम उसमे सफल नहीं हो सके तब हम खुदको यह सोचते हुए पाते है की “में कितनी मुर्ख हूँ” उस वक्त ऐसे नहीं सोचना है अपने आप को रोके , गहरी सास ले और विचार को दोबारा दोहराए।
अपने आप को कुछ ऐसा बताने का प्रयास करे जो हम किसी ऐसे मित्र को बता सकते है जो हाल ही में विफल हुआ हो ,जैसे “यह ठीक है” यह सिर्फ एक प्रयास है। अपनी ओर से हमने सर्वोत्तम प्रयास किया। हम इस अनुभव से सीख सकते है ओर अगली बार और भी बेहतर कर सकते है।
इसके बजाय नकारात्मक स्थितियों को जिज्ञासु मानसिकता से देखने का प्रयास करे अपने आप से
ऐसे प्रश्न पूछे जैसे “यहाँ क्या बदलाव की आवश्यकता है” ? और सकारात्मक सोच के साथ नकारात्मक आत्म – चर्चा का प्रतिकार करे।